Monday, May 11, 2020

LOUIS NIZER - LAWYER TO THE FAMOUS: लुई नाईज़र – जाने मानो के वकील

Here is first one Louis Nizer, America’s most famous trial lawyer during second half of the last century. 

इस पोस्ट में, चर्चा है लुई नाईज़र के बारे में जो पिछली सदी के उत्तरार्ध के दौरान, अमेरिका का सबसे प्रसिद्ध ट्रायल कोर्ट का वकील था। 

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This is how New York Times titled its tribute to Louis Nizer's (February 6, 1902 – November 10, 1994) on his death. During second half of the last century, he was the leading American trial court lawyer. He was an authority on contract, copyright, libel, divorce, plagiarism, antitrust, and on other kinds of law involving the entertainment world; though this was not the only reason why he attracted the famous. 

I had never heard of him, when I was studying or started my practise. There was a very good Universal book shop in civil lines Allahabad. I was regular visitor there. Unfortunately, now it has been partitioned into four and has lost its beauty. Since then, the Wheeler shop has come up and taken its place. 

Universal shop was managed by a person, who was of my father’s age. He knew my love for the books. On my one of the visits to the shop, in the late 1970s, he recommended a new book ‘Reflections Without Mirrors’. According to him, it was by a famous lawyer Louis Nizer and I should read it. I purchased the book and enjoyed reading it. In times to come, I  read three more interesting books written by Nizer: ‘My Life in Court’,  ‘Catspaw’ and ‘The Implosion Conspiracy’.

The first two are about cases, where Nizer was involved. In Catspaw, he discusses one of his case. There is another book ‘The Jury Returns’ written by him. It is about the cases that he conducted but  I could not lay my hands on it.  

His books are full of courtroom drama and tension. His book 'My Life in Court' was  on  The Times's best-seller list for 72 weeks. One of the cases in this book, is about the libel case of the author Quentin Reynolds that he had won. This also served as the basis of the 1963 Broadway play 'A Case of Libel'.   

I knew about Quentin Reynolds as he has written ‘Courtroom’ the biography of Leibowitz, who was the most famous American trial court lawyer in the first half of the last century. It is the finest legal biography ever written. I had read it when I was a law student and was aware of him.

The Implosion Conspiracy’ is the only book about a case, where Nizer was not involved.
This book is story of Ethel and Julius Rosenberg (the Rosenberg couple), who were sentenced to death for leaking nuclear secrets to USSR during second world war. Nizer researched about the Rosenberg  case and its result is the book 'The Implosion Conspiracy'.  It is interesting and gripping. It is worth every penny that it costs. The link below is an article about this case and the book.
Nizer strongly identified with his clients' interests. He once wrote ‘A Lawyer's Prayer’. It started as, 
‘I would pray, O Lord, never to diminish my passion for a client's cause, for from it springs the flame which leaps across the jury box and sets fire to the conviction of the jurors.’
He was a master at preparing and presenting legal arguments. He never memorized but planned his case and submissions meticulously, during long hours at his office. No wonder he was so successful.

यह शीर्षक था न्यूयॉर्क टाइम्स की लुई नाईज़र (६ फरवरी, १९०२ - १० नवंबर, १९९४) को दो गयी श्रद्धांजलि का।  पिछली सदी के उत्तरार्ध में, वे सबसे प्रसिद्ध अमेरिकी ट्रायल कोर्ट वकील थे। वह अनुबंध, कॉपीराइट, परिवाद, तलाक, साहित्यिक चोरी, विरोधाभासी, और मनोरंजन दुनिया में शामिल होने वाले अन्य प्रकार के कानून में माहिर थे। हालांकि, केवल इसीलिये ही जाने-माने लोग उनको वकील नहीं रखते थे।

जब मैं अध्ययन कर रहा था या अपनी वकालत शुरू की तब मुझे उनके बारे में मालुम नहीं था। उस समय इलाहाबाद  सिविल लाइंस में एक बहुत अच्छी यूनिवर्सल किताबों की दुकान थी। मैं वहां नियमित जाता था। दुर्भाग्य से, अब यह चार दुकानों में विभाजित हो गयी है और इसकी सुंदरता खो गई है। अब इलाहाबाद में, उसकी जगह, व्हीलर की किताबों की दुकान ने ले ली है।

यूनिवर्सल किताबों की दुकान को, जो व्यक्ति देखता था, वह मेरे पिता की उम्र का था। वह किताबों के लिए मेरे प्यार को जानता था। एक बार जब मैं उसकी दुकान पर गया, शायद यह १९७० के दशक के उत्तरार्ध में था तब उसने दुकान पर आयी, एक नई पुस्तक ‘रिफ्लेक्शन्स विदआउट मिरर्स’ की सिफारिश की। उसके अनुसार यह एक प्रसिद्ध वकील लुई नाईज़र की लिखी पुस्तक थी और मुझे उसे पढ़ना चाहिये। मैंने किताब खरीद ली और उसे पढ़ने में भी मजा आया।  आने वाले समय में, नाईज़र की लिखी तीन और रोचक किताबें ‘माई लाइफ इन कोर्ट’, 'कैटस्पॉ' और 'द इम्प्लॉज़न  कॉन्सपिरेसी' पढ़ने का मौका मिला। 

पहली दो पुस्तकें , नाईज़र के द्वारा किये गये कई केसों के बारे में हैं, जिन्हे नाईज़र ने किये थे। कैटस्पॉ में, वह अपने एक केस के बारे में, चर्चा करता है। उनके द्वारा लिखित एक और पुस्तक ‘द जूरी रिटर्न्स’ है। यह भी उसके द्वारा किये गये केसों के बारे में है। लेकिन, यह मुझे अभी तक पढ़ने को नहीं मिली

उनकी किताबें अदालती नाटक और तनाव से भरी हैं। 'माई लाइफ इन कोर्ट' ७२ हफ्तों तक, 'द टाइम्स' की बेस्ट-सेलर सूची में रही। इस पुस्तक का एक मामला लेखक क्वेंटिन रेनॉल्ड्स केस के बारे में है जिसे उसने जीता था। १९६३ में, इसी केस से प्रेणना लेकर, ब्रॉडवे का एक नाटक 'ए केस ऑफ लिबेल' बना।

मुझे क्वेंटिन रेनॉल्ड्स के बारे में पता था क्योंकि उन्होंने लेबनोविट्ज की जीवनी 'कोर्टरूम' लिखी है, जो पिछली शताब्दी के पहले भाग में सबसे प्रसिद्ध अमेरिकी ट्रायल कोर्ट के वकील थे। यह अब तक लिखी गई बेहतरीन कानूनी जीवनी है। मैंने इसे तब पढ़ा था जब मैं कानून का छात्र था। मुझे  रेनॉल्ड्स के बारे में मालुम था।

द इम्प्लॉज़न कॉन्सपिरेसी’, उनकी एकमात्र ऐसी पुस्तक उस केस के बारे में है जिसमें नाईज़र शामिल नहीं थे। 
यह कहानी है एथेल और जूलियस रोसेनबर्ग (रोसेनबर्ग दंपति) की, जिन पर द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, रूस   को परमाणु रहस्य लीक करने के लिए मौत की सजा सुनाई गई थी। नाईज़र ने, रोसेनबर्ग मामले के बारे में शोध कर 'द इम्प्लॉज़न  कॉन्सपिरेसी' पुस्तक लिखी। यह दिलचस्प और मनोरंजक है। नीचे दी गयी लिंक इस मामले और पुस्तक के बारे में एक लेख है।

नाईज़र अपने  मुवक्किलों के हितों को हमेशा ध्यान रखते थे और उनसे दृढ़ता के साथ जुड़ते थे। उन्होंने एक बार  'वकील की प्रार्थना' लिखी थी।  यह इस तरह से शुरू होती है,
‘हे भगवान, मैं प्रार्थना करता हूं कि किसी मुवक्किल के लिए मेरा जुनून  कभी कम न हो, क्योंकि यह जुरी को मेरे  मुवक्किल की सच्चाई को दृढ़ता देता है। '
वह कानूनी दलीलें तैयार करने और पेश करने में माहिर थे। वे कभी भी उन्हें याद नहीं करते थे पर उन पर अपने ऑफिस में बहुत समय देकर, सावधानीपूर्वक, मेहनत से तैयार करते थे। कोई आश्चर्य नहीं कि वे इतने सफल वकील थे।

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